लेखनी कविता - शुमार-ए सुबह मरग़ूब-ए बुत-ए-मुश्किल पसंद आया - ग़ालिब

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शुमार-ए सुबह मरग़ूब-ए बुत-ए-मुश्किल पसंद आया / ग़ालिब शुमार-ए सुबह मरग़ूब-ए बुत-ए-मुश्किल पसंद आया तमाशा-ए बयक-कफ़ बुरदन-ए सद दिल पसंद आया ब फ़ैज़-ए बे-दिली नौमीदी-ए जावेद आसां है कुशायिश को हमारा ...

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